एक बार एक प्रोफेसर ने अपने कुछ पुराने स्टूडेंट्स को अपने घर कॉफी पर बुलाया। उनके आने के बाद वह बारी बारी उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात जिंदगी में बढ़ते स्ट्रेस और काम के प्रेशर पर आ गई। सभी का कहना था कि आर्थिक रूप से मजबूत होते हुए भी उनकी जिंदगी में पहले वाला मजा नहीं रहा। कुछ देर बाद प्रोफेसर किचन में गए और सब के लिए कॉफी बनाकर आ गए उन्होंने स्टूडेंट से कहा कि मैं आपके लिए कॉफी बनाकर आया हूं आप सब किचन में जाकर अपने-अपने कप्स ले आइए।
सब स्टूडेंट्स किचन में गए और अच्छे से अच्छा कप उठाकर ले आए। सभी के आने पर प्रोफेसर बोले कि कप कॉफी के स्वाद में बदलाव नहीं लाता लेकिन फिर भी आप सब ने दिखने में अच्छे और महंगे कप्स चुने साधारण कप्स को किसी ने भी देखा तक नहीं। यही हमारी जिंदगी में होता है। जिंदगी कॉफी की तरह है जबकि हमारी नौकरी, पैसा, पोजीशन कप की तरह है।
आप जिंदगी में खुश तब तक रहेंगे जब तक आप अच्छी कॉफी यानी अच्छी जिंदगी की चिंता करेंगे ना कि दिखावे यानी कप की।
बुद्धि का प्रयोग कर हम अपनी कमियों से पार पा सकते हैं
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