आज के इस आधुनिक युग में एक शब्द बहुत ही ज्यादा प्रचलित हो गया है विशेषकर युवाओं के बीच और वह सबसे अनमोल शब्द है ‘मोटिवेशन’। सोशल मीडिया एवं यूट्यूब ने तो मोटिवेशन की कई नई परिभाषाएं स्थापित कर दी है। ‘मोटिवेशन’ का हिंदी में तात्पर्य होता है ‘प्रेरणा’। आज की इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में किसी भी व्यक्ति के पास रुकने का समय नहीं है इस वजह से लोगों का business ही busyness हो गया है।
परिणामत: ‘मोटिवेशन’ के विपरीत शब्द ‘तनाव’ यानि stress का जन्म हुआ। इकोनामिक टाइम्स के अनुसार भारत की 89% जनसंख्या तनाव से ग्रस्त है जबकि पूरी दुनिया में तनाव से ग्रस्त लोगों का औसत 86% है। जिसका अर्थ है कि इस मानसिक विकार ने भारत में एक बहुत बड़ा रूप ले लिया है और सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि 89% जनसंख्या में से 75% लोग डॉक्टर्स को ये बात बताने में अनुकूल (comfortable) नहीं है।
तनाव के कारण डिप्रेशन एवं कई प्रकार के मानसिक विकारों की उत्पत्ति ही गई है क्योंकि तनाव एक मानसिक विकार है इसलिए तनाव का केवल एक ही मुख्य इलाज है “मोटिवेशन अर्थात सफल लोगों के जीवन में घटित हुई घटनाओं से प्रेरित होकर अपने जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव करना”।।
‘मोटिवेशन कहां और कैसे मिलता है?’(Where is motivation and how to get it?)
हालांकि इस सवाल का जवाब काफी जटिल है क्यूंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसके अलग अलग आयाम है, फिर भी इसको हम एक smart phone के उदाहरण से समझते है। हमारे mobile का जो सॉफ्टवेयर होता है उसमें सारे फंक्शन एवं सुविधायें पहले से ही विद्यमान होती हैं लेकिन हम उन सारी सुविधाओं से अनभिज्ञ होते हैं क्योंकि हमें जानकारी नहीं होती है कि किस फंक्शन का उपयोग कैसे होता है? और इस चीज का फायदा एप डेवलपर्स ने उठाया है उन्होंने प्रोग्रामिंग के जरिए मोबाइल में विद्यमान सुविधाओं को जटिल से आसान बना कर स्मार्टफोन यूजर्स का काम आसान कर दिया! उदाहरण के लिए आपके फोन में कैमरा का फंक्शन पहले से ही सॉफ्टवेयर में रहता है लेकिन फिर भी स्मार्टफोन यूजर उससे संतुष्ट नहीं होते हैं क्योंकि वे अपने फोटो को और भी ज्यादा खूबसूरत एवं आकर्षक बनाना चाहते है और इसके लिए वो अलग से external apps (play store) डाउनलोड करते है जिनकी मदद से वे अपने फोटो को मनचाहे अंदाज़ से आकर्षक एवं मनमोहक बनाते है। इसी कार्य को एक सामान्य व्यक्ति जिसे कैमरा सॉफ्टवेयर का ज्ञान हो बिना किसी external app की मदद से आसानी से पूरा कर सकता है।
यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है जब हम परेशानियों के दौर से गुजर रहे होते है उस वक्त हम हमारे अंदर विद्यमान शक्तियों को भूल जाते हैं और बाहरी शक्तियों की मदद लेने के लिए तत्पर हो जाते हैं। यह बाहरी शक्तियां हमारे अंदर विद्यमान शक्तियों को जगाने का कार्य करती है। क्योंकि हम हमारे बुरे वक्त में पूरी तरह से नकारात्मकता से गिरे होते है इसलिए हम हमारी शक्तियों का अनुभव नहीं कर पाते है एवं बाहरी शक्तियों पर निर्भर हो जाते है। परन्तु व्यक्ति अपने आत्मज्ञान को जगाकर भी स्वयं कठिन परिस्थितियों से उभर सकता है। सारी शक्तियां एवं ज्ञान हमारे अंदर ही विद्यमान है केवल उस ज्ञान को जागृत करने की जरूरत है।
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5 ways to become Self-Motivated
1. खुद पर विश्वास रखें (Believe in yourself)
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में वह कठिन समय अवश्य आता है जब वह समय के आगे बेबस हो जाता है परंतु जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी खुद पर विश्वास रखता है और बिना हार माने आगे बढ़ता है वह व्यक्ति सफल व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल हो जाता है। जिस व्यक्ति का खुद पर अटल विश्वास होता है उसे कोई परिस्थितियां नहीं हरा सकती। इस संदर्भ में हरिवंश राय जी की पंक्तियां सटीक साबित होती है।
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।
2. अपने कौशल को बढ़ाएं (Develop new skills)
जो व्यक्ति समय को बर्बाद करता है समय उसे बर्बाद कर देता है। इसलिए हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए। समय की मांग के अनुसार अपने कौशल को बढ़ाएं। नयी चीजें सीखे, नई भाषायें सीखे, विभिन्न प्रकार की बुक्स का अध्ययन करें तथा जिस भी कौशल में आप इच्छुक हो उसमें दक्ष बने। जीवन में व्यक्ति को कभी भी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए। एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में जो व्यक्ति किताबें पढ़ता है वह सैकड़ों जिंदगियों का अनुभव ले सकता है। अतः ज्ञान ही अज्ञान को मिटा सकता है।
3. खुद को जानें (Know yourself)
हम में से अधिकतर लोग खुद से ज्यादा दूसरों को अधिक जानते हैं। दूसरे व्यक्ति ने क्या अच्छा या बुरा किया है यह हमें मालूम रहता है क्योंकि दूसरों को जज करना आसान होता है परंतु हमने कभी भी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि हम कौन हैं? और हमारा क्या अस्तित्व है? हमने क्या अच्छा या बुरा किया है? आप जीवन में कितने ही व्यस्त क्यों ना हो आपको अपने व्यक्तिगत विकास के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए जिससे आपको आपकी ताकतों (Strengths) एवं कमजोरियों (Weaknesses) का अनुभव हो सकें।
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4. असफलता से नहीं डरे (Don’t be afraid of failure)
सफलता एवं असफलता जीवन का अभिन्न अंग है तथा दोनों का ही अपना अलग-अलग स्वाद होता है। इसलिए जीवन में जोखिम लेने से नहीं डरे। जोखिम से यहां पर यह मतलब नहीं है कि आप अपनी जान जोखिम में डाल दे। जोखिम एक सोचा समझा निर्णय (calculated risk) होता है जो आपकी जिन्दगी बदल सकता है। सही समय पर लिया गया सही निर्णय व्यक्ति को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचा सकता है। अतः असफलता को ही सफलता की सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ जाओ। इस संदर्भ में हरिवंश राय जी की पंक्तियां आपके साथ साझा करूंगा।
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
जब तक सफल ना हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
5. नकारात्मकता से बचें (Avoid Negativity)
दुनिया में सभी लोग हमें सफल बनते हुए नहीं देखना चाहते हैं। कुछ लोग ईर्ष्या के कारण भी आपकी सराहना नहीं करेंगे इस प्रकार के नकारात्मक लोगों से हमेशा दूर ही रहे। नकारात्मकता आपको किसी भी रूप में जकड़ सकती है परंतु किसी भी आत्मविश्वासी व्यक्ति को किसी बाहरी व्यक्ति के द्वारा की गई प्रशंसा की अभिलाषा नहीं होती है क्योंकि उसका खुद पर विश्वास ही इतना अटल होता है कि उसे अपनी प्रशंसा या बुराई में अंतर नहीं दिखता। नकारात्मकता एक बिन बुलाई मेहमान होती है जो व्यक्ति को अपने लक्ष्य से विचलित कर देती है। हमेशा सकारात्मक लोगों की संगत में रहें, सकारात्मक विचारों को पढ़ें जिससे कि दिमाग की रचनात्मकता बढ़ती है और व्यक्ति को सफल बनने से कोई नहीं रोक सकता। हमारी आत्मीय शक्ति ही सभी प्रेरणाओं का स्रोत है।
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए मेरे सभी पाठकों को धन्यवाद एवं आशा करता हूं कि यह पोस्ट आपका हौसला बढ़ाने में आपकी मदद करेगी।
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